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जीवन परिचय

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स्टीफन हॉकिंग वर्तमान दौर के सबसे प्रसिद्द ब्रह्माण्ड विज्ञानी है। "द ग्रैंड डिजाइन" और "ए ब्रीफ स्टोरी ऑफ़ टाइम" उनकी चर्चित पुस्तकें है ।


स्टीफन हॉकिंग

स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को ऑक्सफ़ोर्ड, इंग्लेंड में हुआ । कुटुंब में चार बालकों में वें सबसे बड़े थे। पिता जीवविज्ञान के संशोधक थे। उनका पैतृक निवास स्थान उत्तरी लंदन था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्टीफन जब महज आठ वर्ष के थे उनका परिवार सुरक्षागत कारणों से उत्तरी लंदन से बीस मिल दूर स्थित सेंट अल्बांस कस्बे मे आकर बस गया। अपनी आठ वर्ष की अल्पायु में स्टीफन घड़ी, रेडियो खोलकर जोड़ने का प्रयास करते। उनके भीतर इन चीजों की कार्यप्रणाली जानने की अदम्य जिज्ञासा थी। ग्यारह वर्ष की उम्र में स्टीफन सेंट अल्बांस स्कूल में भर्ती हुए। माध्यमिक शिक्षा में वह महज सामान्य विद्यार्थी थे। ऑक्सफ़ोर्ड में प्रवेश मिलेगा या नहीं ऐसी आशंका माँ-बाप को थी पर ऑक्सफ़ोर्ड की प्रवेश परीक्षा में भौतिक विज्ञान में अच्छा प्रदर्शन कर, साक्षात्कार में भी सफल रहकर, 1959 में अपने पिता के पुराने कॉलेज यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में प्रवेश लिया। स्टीफन गणित का अध्ययन करना चाहते थे पर पिता का रुझान औषधि विज्ञान की तरफ था। यूनिवर्सिटी कॉलेज में गणित विषय उपलब्ध न होने पर भौतिकी को वैकल्पिक विषय के रुप मे चुना। महज तीन साल बाद उन्हें नैसर्गिक विज्ञान में प्रथम श्रेणी की सम्माननीय डिग्री से नवाजा गया।

स्टीफन उसके बाद ब्रह्मांड विज्ञान में अनुसंधान करने कैम्ब्रिज चले गए। उस समय ऑक्सफ़ोर्ड के इस क्षेत्र में कोई भी काम करने नहीं जाता था। वहां डेनिस सियामा उनके पर्यवेक्षक थे बावजूद स्टीफन का सपना कैम्ब्रिज में कार्यरत फ्रेड हॉयल से मुलाक़ात की थी। अपनी पीएच.डी. प्राप्त करने के बाद सबसे पहले वें एक रिसर्च फैलो बने और उसके बाद गोनविले व कैयस कॉलेज में एक प्राध्यापकीय फैलो हुए। 1973 में खगोल विज्ञान संस्थान छोड़ने के बाद, स्टीफन 1979 में एप्लाईड गणित और सैद्धांतिक भौतिकी विभाग में आए, फिर 1979 से लेकर 2009 तक गणित के ल्युकेसियन प्रोफेसर पद पर रहे। यह पद सर्वप्रथम आइजैक न्यूटन द्वारा और फिर 1669 में इसहाक बैरो द्वारा संभाला गया था। विदित हो कि ल्युकेसियन प्रोफेसर पद रेवरेंड हेनरी लुकास की वसीयत में छोड़े गए पैसों से 1663 में स्थापित हुआ था। हेनरी विश्वविद्यालय के लिए संसद सदस्य रहे थे। स्टीफन अभी भी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सक्रिय हिस्सा है। एप्लाइड गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के विभाग में एक कार्यालय को उन्होंने बरकरार रखा है।

स्टीफन हॉकिंग ने ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले मूलभूत नियमों पर काम किया। रोजर पेनरोज़ के साथ मिलकर उन्होंने दर्शाया कि आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत दिक और काल निहित है जो कि बिग बैंग के साथ शुरू हुए होंगे और एक ब्लैक होल में जाकर इनका अंत हो जाता है। यह परिणाम क्वांटम सिद्धांत के साथ सामान्य सापेक्षता को एकजुट करने की आवश्यकता की ओर संकेत करता है। क्वांटम सिद्धांत 20 वीं सदी की प्रथम अर्ध सदी की एक और महान वैज्ञानिक प्रगति है। उन्होंने इस तरह के एकीकरण का एक परिणाम यह पाया था कि ब्लैक होल पूरी तरह से स्याह नहीं होने चाहिए बल्कि उन्हें विकिरण उत्सर्जित करना चाहिए और अंततः वाष्पीकृत हो होकर मिट जाने चाहिए। एक अन्य अनुमान यह है कि काल्पनिक समय अंतर्गत ब्रह्मांड का कोई किनारा या सीमारेखा नहीं है। इसका मतलब साफ़ है कि वह मार्ग जिससे होकर ब्रह्मांड शुरू हुआ पूरी तरह से विज्ञान के नियमों द्वारा निर्धारित किया गया था।

उनके अनेको प्रकाशन मे शामिल है- जी.एफ.आर. एलिस संग द लार्ज स्केल स्ट्रक्चर ओफ़ स्पेसटाइम, डब्ल्यू इस्राएल संग जनरल रिलेटिविटी: एन आइंस्टीन सेंटेनरी सर्वे तथा डब्ल्यू इस्राएल संग 300 ईयर्स ऑफ़ ग्रेविटी। स्टीफन हॉकिंग की तीन लोकप्रिय पुस्तकें प्रकाशित हुई; जिनमे सर्वाधिक बिकाऊ ए ब्रीफ हिस्टरी ओफ़ टाइम, ब्लैक होल्स एंड बेबी यूनिवर्सेस एंड अदर एसेस, द यूनिवर्स इन ए नटसेल है, तथा हाल ही 2010 की द ग्रांड डिजाइन है।

प्रोफेसर हॉकिंग की बारह मानद उपाधियां है। वें 1982 में सीबीइ में सम्मानित हुए थे, तथा 1989 में एक कोम्पेनियन ऑफ़ हॉनर बनाये गये थे। वह अनेकों पुरस्कार और पदक प्राप्तकर्ता है। वह रॉयल सोसाइटी के फैलो और यूएस नेशनल एकेडेमी ओफ़ साइंसेस के एक सदस्य है।

महज 21 वर्ष की आयु में स्टीफन के शरीर में अचानक कमजोरी आ गई। बोलने में तकलीफ होने लगी। हाथ-पैर कांपने लगे, गले में तकलीफ होने लगी। हाथ से जूते की डोर बांधना मुश्किल हो गया। डॉक्टरों ने बताया वह मोटोर न्युरॉन नामक रोग से पीड़ित है। 'मोटोर न्युरॉन रोग' यानि हृदयाघात। जिसमे मनुष्य के स्नायुओं और ज्ञान तंतुओं पर मस्तिष्क का अंकुश नहीं रह जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति खड़ा नहीं हो सकता, चल नहीं सकता, बोल नहीं सकता, अपने हाथ से पानी का प्याला उठाकर पी नहीं सकता। डॉक्टरों ने कह दिया, ज्यादा से ज्यादा दो चार वर्ष जी सकेंगे।

ऐसे कठिन हालातों में उनकी मुलाकात एक पार्टी में जेइन वाइल्ड नाम की युवती से हुई। मेल मुलाकातों का दौर शुरू हुआ। नजदीकियां बढ़ी। 1965 में दोनों विवाह के बंधन में बंधे। जेइन ने स्टीफन की दृढ इच्छाशक्ति को बढ़ाया। जेइन के साथ से घरसंसार चलने लगा और 1969 में प्रथम पुत्र रोबर्ट का आगमन हुआ। उसके बाद बेटी ल्यूसी और 1979 में पुत्र तिमोथी ने अवतार लिया। व्हीलचेयर पर पड़ने और बोलचाल के लिए कम्प्यूटरीकृत आवाज प्रणाली पर निर्भर होने के बावजूद स्टीफन हॉकिंग ने पारिवारिक जीवन से तालमेल बनाए रखा, साथ ही साथ यात्रा व सार्वजनिक व्याख्यान के व्यापक कार्यक्रम के साथ-साथ सैद्धांतिक भौतिकी में अपने शोध को भी जारी रखा। दुर्भाग्यवश सुखी दाम्पत्य जीवन में दरार आ गई। जेइन पूर्ण आस्तिक थी जबकि स्टीफन का झुकाव विज्ञान की ओर अधिक था। मतभेद बढ़े, और अंततः दोनों अलग हो गए।

हाकिंग को केंद्र में रखकर निर्देशक जेम्स मार्श ने एक फिल्म 'द थ्योरी ऑफ़ एवरीथिंग' बनाई है। हाकिंग के जीवन के अंतरंग पहलुओं का इसमें चित्रण किया गया है। ब्रिटिश एक्टर एडी रेडमायने ने हाकिंग की भूमिका अदा की है।