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नारायण मूर्ति |
नागवार रामाराव नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त, 1946 को तत्कालीन मैसूर राज्य में कोलार जिले के कोटलागट्टा गांव के एक निर्धन ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता नागवार रामाराव एक हाईस्कूल में अध्यापक थे, जो गणित और जीव-विज्ञानं पढ़ाते थे। उनके आठ बच्चे थे - पांच बेटियां और नारायण मूर्ति सहित तीन बेटे। रामाराव का प्रायः स्थानांतरण होता रहता था इसलिए मूर्ति को मैसूर, श्रीनिवासपुर, मांड्या, मेदिकरे और तुमकुर के कई सरकारी स्कूलों में पढने का मौका मिला। शुरू से ही उनकी रूचि विज्ञान और गणित में रही थी। हालाँकि पिता उन्हें सरकारी नौकरी में देखना चाहते थे पर मूर्ति का सपना प्रतिष्ठित भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान में इंजीनियरिंग करना था। आर्थिक कठिनाइयों की वजह से उनका यह सपना पूर्ण न हो सका। 1967 में उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग से अपनी बी. ई. की डिग्री हासिल की। अब आई. आई. टी. में प्रवेश का उनके पास दूसरा मौका था। सौभाग्य से इस बार उन्हें निराश नहीं होना पड़ा। 1969 में कानपूर आई. आई. टी से एम. टेक की डिग्री हासिल की। इसी साल उन्हें आई. आई. एम. अहमदाबाद में बतौर चीफ सिस्टम प्रोग्रामर की नौकरी भी मिल गई। आई. आई. एम. में लगभग तीन साल कार्य करने के बाद मूर्ति को आगे बढ़ने का एक अवसर हासिल हुआ, जिसे उन्होंने बिना समय गवांएं लपक लिया। 1972 में फ़्रांस की एक कंपनी सेसा में नौकरी कर ली और पेरिस चले गये। 1981 में नारायण ने नौकरी छोड़ दी, क्योंकि वह अपना खुद का सॉफ्टवेयर बिजनेस शुरू करना चाहते थे। इसी वर्ष उन्होंने अपने छह दोस्तों के साथ मिलकर पुणे में इंफोसिस की शुरुआत की। 1983 में एमआईसीओ बैंगलोर के तौर पर इंफोसिस को अपना पहला क्लाइंट मिला और यहीं से शुरू हुई इनकी सफलता की कहानी।
पुरस्कार व सम्मान
पद्म श्री (2000), अर्नस्ट एंड यंग आंत्रेप्रेन्योर ऑफ द ईयर (2003), ब्रिटिश सरकार ने सीबीई की उपाधि व आईईईई अर्नस्ट वेबर इंजीनियरिंग लीडरशिप की मान्यता दी (2007), पद्म विभूषण और फ्रांस सरकार द्वारा ऑफिसर ऑफ द लेजियन ऑफ ऑनर (2008), वुडरो विल्सन अवार्ड (2009), आईईईई की मानद सदस्यता (2010), हूवर मेडल (2012), फिलेंथ्रपिस्ट ऑफ द ईयर (2013) आदि।
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2 टिप्पणियाँ:
एक धेय्यवेडा
एक धेय्यवेडा
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