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जीवन परिचय

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द्रोपदी मुर्मू भारत की पंद्रहवीं, और दूसरी महिला राष्ट्रपति है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है, और सदियो से विश्वगुरु रहा है। ऐसे मे हर भारतीय का अपना महत्व है। भारतीय लोकतन्त्र और भारतीयो की सबसे बड़ी यही खासियत है, कब कौन भारतीय किस क्षेत्र मे अपना नाम शिखर पर पहुंचा दे, कोई नहीं जानता। वर्तमान मे जमीन से आकाश की बुलन्दियो को छूने वाली उस भारतीय का नाम है, द्रौपदी मुर्मू, एक ऐसा नाम जिसने आदिम वनवासी जनजाति की महिला होकर भारत की राजनीती में उल्लेखनीय मुकाम प्राप्त किया है। 



नाम  -  द्रौपदी मुर्मू
नाम -द्रौपदी मुर्मू
जन्म - 20 जून 1958
जन्म स्थान - मयूरभंज, उड़ीसा
पिता - बिरंची नारायण टुडु
माता - किनगो टुडू
पति - स्व. श्याम चरण मुर्मू
शिक्षा - बीए
पेशा - शिक्षिका, राजनीतिज्ञ 

 

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में आदिवासी संथाल परिवार हुआ। पिता बिरंची नारायण टुडू पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम प्रधान थे। प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में हुई, उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए रामा देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर में दाखिला लिया जहां उन्होंने कला में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। श्याम चरण मुर्मू से विवाह पश्चात उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति की असमय अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी विवाहिता पुत्री भुवनेश्वर में रहतीं हैं। 

उन्होंने अपना करियर श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक प्रोफेसर के रूप में आरम्भ किया। फिर ओडिशा सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में काम करने के बाद, भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में की। साथ ही भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। वह रायरंगपुर सीट से भाजपा की तरफ से वर्ष 2000 में विधायक बनी। उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान वह 6 मार्च, 2000 से लेकर 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार तथा 6 अगस्त, 2002 से लेकर 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रही। 2007 में उन्हें उड़ीसा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

18 मई, 2015 को भारत की यह आदिवासी महिला झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी। भारत के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी आदिवासी महिला ने राज्यपाल के पद पर विराजमान होकर उस पद की गरिमा को बढ़ाया। 25 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना द्वारा 15वें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलातें ही द्रोपदी मुर्मू भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और आजाद भारत में जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति बन गई।


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